भारतीय संस्कृति की रूपरेखा (Bhartiya Sanskriti Ki Rup Rekha) [Hardcover](Hardcover, बाबू गुलाबराय (Babu Gulabrai))
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These are reprint editions reprinted with the help of original book just to give the original look and feel we do not change its format and text due to which in some cases the text is not like new. किताब के बारे में: भारतीय संस्कृति की रूपरेखा में बाबू गुलाबराय ने भारतीय संस्कृति के मूल तत्वों विचारधाराओं और ऐतिहासिक विकास का गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया है। वे बताते हैं कि भारतीय संस्कृति आध्यात्मिकता सहिष्णुता मानवता और समरसता पर आधारित है। इसमें धर्म दर्शन कलाए साहित्य और सामाजिक मूल्यों का समन्वय है। गुलाबराय भारतीय संस्कृति की विशिष्टता को वैश्विक संदर्भ में रखकर उसकी गहराई और व्यापकता को उजागर करते हैं। यह कृति न केवल सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ाती है बल्कि भारतीय जीवन.दृष्टि को समझने में सहायक होती है। लेखक संस्कृति को जीवंत परंपरा और सतत विकास की प्रक्रिया मानते हैं। लेखक के बारे में: बाबू गुलाबराय (1888–1963) हिंदी के प्रतिष्ठित आलोचकए निबंधकार और चिंतक थे जिन्होंने साहित्यए दर्शन और संस्कृति के विविध पहलुओं पर गंभीर लेखन किया। उनके निबंध सरल चिंतनशील और वैचारिक गहराई से युक्त होते हैं। वे भारतीय संस्कृति तर्क धर्म कर्तव्य और साहित्यिक आलोचना पर विशेष दृष्टि रखते थे। भारतीय संस्कृति की रूपरेखा (1952) हिंदी साहित्य का सुबोध इतिहास (1940) नवरस साहित्य समीक्षा और मेरी असफलताएँ जैसी कृतियाँ उनकी बहुआयामी सोच को दर्शाती हैं। उनके लेखन में भारतीय जीवन.दृष्टि नैतिकता और सांस्कृतिक चेतना का स्पष्ट प्रभाव है। वे आधुनिक हिंदी गद्य को दिशा देने वाले अग्रणी लेखक माने जाते हैं। The Title 'भारतीय संस्कृति की रूपरेखा (Bhartiya Sanskriti Ki Rup Rekha) written/authored/edited by बाबू गुलाबराय (Babu Gulabrai)', published in the year 1930. The ISBN 9789372253931 is assigned to the Hardcover version of this title. This book has total of pp. 173 (Pages). The publisher of this title is Gyan Publishing House. This Book is in Hindi. The subject of this book is Hindi Story. Size of the book is 14.34 x 22.59 cms.